Saturday, December 19, 2009

नारी और भगवान...........

दुनिया भर का दर्द ,
क्या मेरे ही जीवन में !
दुनिया भर के काटे ,
क्या मेरी ही राहों में !
दुनिया भर की नफरत ,
क्या मेरी ही सूरत में !
जब शिकायत भी करू खुदा से ,
तो खुदा कहते है हमसे ,
न ही तुम इंसान हो ,
जिसे मैंने बनाया है मिटी से ,
न ही तुम फोलाद हो ,
जिसे मैने बनाया है इच्छाशक्ति से ,
तुम तो केवल रहस्य हो !
जिसे मैने बनाया है खुद अपने हाथो से !
जिसे मैने बनाया है खुद अपने सपनो से !
जिसे मैने बनाया है खुद बड़े प्यार से !
जिस दिन समझा जाओगी इस बात को ,
उस दिन समझ जाओगी अपने जीवन को !
क्यों दर्द है दुनिया भर का
तेरे जीवन में !
धरती पर जनम लेने वाला हर शख्स
मेरा ही इक अंश है !
इक दिन मुझ में ही आकर मिल जाता है !
अपनी बनाई हुई इन कठपुतलियों से ,
मिला दर्द , कांटे , नफरत
जब सब में सहता हु ,
तब तुम भी सह सकती हो वो सब ,
क्योकि ........
तुम उन सब से अलग जो हो !
मेरे सब से करीब जो हो !
मेरा ही दूसरा रूप हो तुम !
मै करता हु तुम्हारी इब्बादत !
तुम कर्ति हो मेरी बनाई हुई ,
इस सम्पूरण कायनात की इबादत !
मै रखता हु नारी हदय ,
और तुम ........
तुम तो सम्पूरण नारी हो !
ठहर जाओगी तुम जिस दिन
रुक जायेगी मेरी कायनात उस दिन !
क्या कहू मै इससे जायदा ,
तुम्हे तुम्हारी पहचान बताने को ,
क्यों दर्द है दुनिया भर का
तेरे ही जीवन में !
क्यों काटे है दुनिया भर के
तेरी ही राहों में !
क्यों नफरत है दुनिया भर की
तेरी ही सूरत में !
डॉ. मंजु चौधरी
manndagar@yahoo.com

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