Tuesday, March 3, 2009

मै भारत हूँ ...

मै भारत हूँ !
मेरा दर्द किसने देखा आज तक .
सभी कहते है मै हु इसका रहबर ,
अरे ,
कोई मुझसे भी तो पूछे ,
कोन है मेरा रहबर !
मेरे दर्द का अहसास है सिर्फ़ मुझे
रहबर तो सेकते है मुझ पर
अपने स्वार्थ की रोटिया सिर्फ़
उन्हें इससे कोई फर्क नही पड़ता
जख्म तो मै झेलता हु !
हर रोज छलनी होता है सीना मेरा
आतंकवादियों की दनादन बरसती गोलियों से !
हर रोज हर तरफ़ होते कत्लेआम से !
ये जख्म तो मैंने आप को वो दिखाए है
जो दिखाई देते है सब को
उन जख्मो का तो कोई हिसाब ही नही है
जिन्हें दिखाया नही जा सकता ,
सिर्फ़
महसूस किया जा सकता है .
दर्द ?
फिर भी जीता हु मै
हर रोज
करोडो भारतीयों के दिल मै .
हर सुबह
हर शाम
उन सभी के देखे गए सपनो में
संग उनके मुस्कुराता हु मै भी
कभी मासूम बच्चो की नन्ही आखो में
कभी युवा के पंख लगा कर उड़ने के सपनो में
कभी बुजुर्गो की अनुभवी आखो में !
भारत जो ठहरा मै
इक ऐसा देश
जिसने दिया जीरो विश्व को
आधयत्म विश्व को
बहुत सारे सपने
नक्षत्रो की गणना
और न जाने क्या -क्या
ये तो है एतिहासिक भारत
अब मै बात करुगा
आधुनिक भारत की
जिसमे वो सब कुछ शामिल है
जो सिखा है मैंने
अतीत से
वर्तमान में वो सब कुछ
बन कर मेरा हिस्सा
बन रहे है पदचिन्ह वो मेरे भविष्य के

1 comment:

Unknown said...

very good, all poems from the base of heart keep it up

Raj