Tuesday, April 7, 2009

खामोश पदचाप

मै जब भी सोचती हु तुम्हारे बारे में
याद आती है मुझको
वो सभी बाते ,जो तुमको
कभी नहीं कही मुझको
लेकिन
बिना शब्दों के तुमने , मुझको
वो सब कुछ कहा
जो सुनना चाहती थी
मै
सिर्फ तुमसे !
साथ - साथ चल कर
हमने कोई पल नहीं बिताया
लेकिन
अपने हर कदम के साथ मैंने
महसूस किया है तुम्हारी
खामोश पदचाप को !
संग अपने दोस्तों के बैठ कर
जब भी हँसती हु मै
खनक तुम्हारी हँसी की साथ मेरे
हँसती है देर तक
दूर सेहरा में जाकर जब टूटती
है तंद्रा मेरे विचारो की
तो अपने दो कदमों के साथ
दो कदमों के साये और भी
साथ चलते दीखते है मुझको !
मेरी जिंदगी के बीते हुए
हर सफे पर अब तो
मुझको साफ़ दिखाई दे जाती है
झलक तुम्हारी !
हर पल , हर लम्हा साथ मेरे
यू ही रहना हमसाया मेरा !


मंजु चौधरी

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