Sunday, March 21, 2010

इक आवारा बादल........ A flirting cloud

इक आवारा बादल........ A flirting cloud

जिन्दगी के हर मोड़ पर तुम्हारा साथ ,
पाने की चाहत की थी कभी !
जिन्दगी के हर दोराहे पर तुम्हारे साथ ,
चलने की चाहत की थी कभी !
जिन्दगी की हर उस जदोजहद पर जहा ,
डगमगाए थे कदम तुम्हारे !
तुम्हे सँभालने की चाहत की थी कभी !
लेकिन ,,,,,,,,,,
तुम तो तुम ही थे !
न कभी किसी का साथ चाहा ,
न कभी अपना साथ दिया ,
अपनी मंजिल खुद खोजी !
चल कर पथरीली राहों पर !
नहीं डरे तुम काटों से ,
नहीं डरे तुम पथरो से ,
सपना जो देखा था तुमने ,
कुछ कर दिखने का ,
दुनिया से अलग !
इसलिए ,,,,,,,,,
अकेला चलने का व्रत जो लिया था तुम ने ,
आखरी दम तक निभाया भी उसको तुमने ,
तभी तो पसंद रहें तुम मेरी ,
हमेशा ही सब से अलग ,
इक आवारा बादल की तरह !

मंजु चौधरी

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