शहीदे - ऐ - आजम
जरा सोचिये ???
क्या इसी दिन के लिए भगत सिंह ने भूख हड़ताल की थी .
ताकि लाखो लोग भूखे मरे .
जरा सोचिये ???
क्या यही सब दिन देखने के लिए उस युवक ने
अपनी जवानी देश पर कुर्बान की .
जरा सोचिये ???
झाक कर देखिये अपने मन में
और खोजिये जवाब
जो उन्होंने किया वो सही था
या
जो आप कर रहे है वो सही है .
जरा सोचिये ???
जय हिंद
मंजु चौधरी
6 comments:
हालाँकि गुलामी के ज़ख्म सी दिए गए हैं, होठों पर मिठास रख दिया गया है फिर भी कुछ अपूर्ण को उकेरती है आपकी बातें मैं ज्यादा कहूँगा तो सर्कार की शान में गुस्ताखी होगी !
Thanks Mr.Kishore
You write excellent poems but please let me know are you Manu/Manju/Manju Dagar or all... real as well as pen names.
& you seem to have a lot of angst inside you. Quite revolutionary in fact!
Manu Kant
I really liked the one on Bhagat Singh & on the state of the Indian media/journalists.
all is me mr.manu
Ok Manju. Why don't you join KRITYA on facebook. & contribute your poems there.
It is India's foremost web journal on poetry.
& Can I connect with you on FB? I also write poetry.
Manu
Post a Comment