Monday, April 13, 2009

Samarpan

मै ख्याल हु तुम्हारा ,

मै हकीक़त हु तुम्हारी ,

देख लो छवि तुम अपनी ,

आईना मुझे अपना समझकर !

मै साया हु तुम्हारी ,

मै खवाब हु तुम्हारा ,

देख लो सच्चाई तुम अपनी ,

आईना मुझे अपना समझकर !

मै आरजू हु तुम्हारी ,

मै जिन्दगी हु तुम्हारी ,

देख लो सच्चाई तुम अपनी ,

आईना मुझे अपना समझकर !

मै खुशबू हु तुम्हारी ,

मै सादगी हु तुम्हारी ,

देख लो व्यक्तितव तुम अपना ,

आईना मुझे अपना समझकर !

मै बीता कल हु तुम्हारा ,

मै वर्तमान हु तुम्हारा ,

देख लो भविष तुम अपना ,

आईना मुझे अपना समझकर !

2 comments:

के सी said...

सुन्दर कविता , बहुत पसंद आई.

Satish Chandra Satyarthi said...

Beautiful poem.
keep it up.
All the best