Wednesday, March 24, 2010

बिन बादल बरसात की !!

बिन बादल बरसात की !!

मेरी नजरो ने तुझ पर
कुछ शबनमो की बरसात की ,,,
तेरी तमनाओ ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
मेरी शबनमी पलकों ने
धीरे से तेरी पलकों पर दस्तक दी ,,,
तेरी चाहतो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
रात्रि के तीसरे पहर
बंद होती पलकों पर ,,,
तेरी यादो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!

मंजु चौधरी

3 comments:

विजयप्रकाश said...

रात्रि के तीसरे पहर
बंद होती पलकों पर ,,,
तेरी यादो ने मचल कर
बिन बादल बरसात की !!
वाह...अर्थपूर्ण पंक्तियां

Unknown said...

अत्यंत सुंदर कविता..

manju dagar said...

Thank you Pankaj ji and Vijay Prakash ji .